Madhu varma

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लेखनी कविता - लंच बॉक्स - बालस्वरूप राही

लंच बॉक्स / बालस्वरूप राही


मम्मी, छोड़ो लाड़-दुलार,
लंच बॉक्स कर दो तैयार।
सब्जी खूब मसालेदार,
गरम पूरियाँ पूरी चार।

पापड़ हो जाता बेकार,
रख दो चटनी और आचार।
क्यों देतीं केला हर बार,
मम्मी, रखना आज अनार।

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